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शनि मंत्र
Singer: Sukrit
Music Production: Vishal Thapa
Recorded @ Tarang Global Studios
A Unit of Tarang Global School of Arts and Creative Skills

नमस्कार ।।

कभी कभी कुछ जातकों की कुंडली में कुछ ग्रहों की स्थिति इतनी नकरात्मक होती है कि, किसी भी तरह की पूजा, कोई भी रत्न या किसी भी प्रकार का यत्न इनके प्रभाव को कम करने में असमर्थ होता है।

एसी स्थिति में हमारे वेदों में मंत्रोचारण का बहुत महत्व बताया गया है। इन परिस्थितियों में मन्त्रों का जाप या श्रवण, मात्र भी चमत्कारी संजीवनी की तरह काम करता है। ध्यान में रखने वाली बात यह है कि मन्त्रों का उच्चारण अथवा श्रवण सही समय एवं प्रभावशाली  ध्वनि तरंगों के साथ हो, तो मन्त्रों का सकारात्मक प्रभाव निश्चित है।

इसी शृंखला मैं तरंग स्टूडीयोस का यह एक प्रयास है। हमारा मन्तव्य है कि, आपको वो सभी मंत्र, भजन, वंदना, आरतियाँ, एक ही स्थान प्रदान कर पाएँ, जिन्हें नित्य नियम से करना सम्भव एवं आनंद मय हो।

इस शृंखला मैं प्रस्तुत है शनि मंत्र।

ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम ।।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।

यदि आपके गोचर में शनि का प्रभाव है तो इस मंत्र का नित्य प्रति १०८ बार श्रवण मात्र ही आपके कष्टों का निवारण करने मैं सहायक होगा। इस शनि मंत्र के श्रवण के साथ यदि जातक सेवा भाव से किसी दीन, हीन, दरिद्र एवं आश्रित की सहायता करता है तो इस मंत्र का त्वरित लाभ पा सकता है।

तो आइए हम शनि मंत्र का श्रवण करते हैं। कृपया इसे लगा कर अपनी आँखें बंद करके शनि की शक्ति की उपासना करें एवं उनकी कृपा की कामना करें। आशा करते हैं की यह शनि मंत्र आपको सुख, शांति एवं सम्रिधि प्रदान में समर्थ रहे।

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